हर किसी को अपने सपनों के घर में रहने की आस होती है इसी ख्वाब में चिड़िया अपने घोंसले के लिए खूब मेहनत कर रही थी। बहुत मेहनत के बाद चिड़िया ने अपना शानदार घोंसला बना ही लिया।
चिड़िया अपने घोंसले में सकून से रहने लगी। अब चिड़िया को रात को खुले में सोने का डर नही था क्योंकि अब उसके पास सपनों का घर जो था। समय व्यतीत होता गया और चिड़िया ने घोंसले में अंडे दे दिए।
चिड़िया अब घोंसले में अपने अंडों की देखभाल करने में लगी रहती। कुछ समय बाद अंडों में से चिड़िया के अंडे बाहर आ ही गए। चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाने का इंतजाम करने के लिए दिन भर इधर उधर भटकती रहती।
धीरे धीरे चिड़िया के बच्चे बड़े होने लगे। चिड़िया अपने बच्चों के साथ बेहद ही खुश थी। एक दिन चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाना ढूंढने निकली थी। बच्चे घोंसले में अपनी मां के आने का इंतजार कर रहे थे।
अचानक से पेड़ हिलने लगा मानों भूंकप सा आ रहा हो। यह देख बच्चे घबरा गए। दरअसल यह भुंकप पेड़ के काटने से आ रहा था क्योंकि कुछ लोग उस पेड़ को काट रहे थे। जिन्हें चंद पैसों के लिए पेड़ के मालिक ने बेच दिया था।
किसी ने भी चिड़िया के घोंसले पर ध्यान नहीं दिया। बच्चे छोटे थे जिसकी वजह से वह घोंसला छोड़ कहीं दूसरी जगह उड़ के जा भी नही सकते थे। बच्चे डर के मारे मां को पुकारने लगे परन्तु उनकी चीख पुकार कोई भी नही सुन रहा था।
आखिरकार पेड़ कट ही गया। जब चिड़िया खाना लेकर अपने घोंसले में वापिस आई तो चिड़िया के होश उड़ गए। उसको न पेड़ दिख रहा था और न ही उसका घोंसला। जब चिड़िया की नजर थोड़ी दूर पड़ी तो उसकी आंखों सामने मानों अधेरा सा छा गया हो। घोंसला टूट के बिखर चुका था जिसके तिनके बिखरे हुए पड़े थे। उनके साथ बच्चों की लाशे भी पड़ी थी।
चिड़िया का हंसता खेलता परिवार अब खत्म हो चुका था। परन्तु चिड़िया को यकीन नही हो रहा था। चिड़िया को अब भी यकीन था कि उसके बच्चे उठ पड़ेंगे और उसके द्वारा लाया खाना खायेंगे।
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