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Wednesday, March 15, 2023

हमें सुख दुख कैसे मिलते? जानिए हमें दुःख ही क्यों मिलते

 कई बार हम बहुत उदास हो जाते है और उस god को कोसते कि उन्होंने हमें ऐसी जिंदगी दी ही क्यों, क्यों ऐसा ही मेरे से साथ होता है, मुझे ही क्यों हर बार दुख मिलता। 

हम उस god को ही दोषी ठहरा देते कि वो गलत कर रहा है। 

परंतु हम यह भूल जाते कि जिस god ने हमें इस दुनिया में भेजा है तो किसी खास मकसद से ही भेजा होगा। और god जो भी हमारे साथ करता वो हमारे लिए सही ही होगा। क्योंकि कौन सा ऐसा पिता है जो अपने बच्चों को दुखी देखें।

परंतु जब हम अपने मन के करते तो वह कर्म बन जाते और हमारे द्वारा हर एक कर्म का हिसाब किताब हमें देना पड़ेगा। 


और इन्ही कर्मों के हिसाब किताब से हमें सुख दुख, रिश्ते नाते और बाकी चीजे मिलती। 


अब सवाल आता है कि मैने तो कभी किसी का बुरा किया नही फिर भी मुझे दुख ही मिलता। क्या भगवान से कोई गलती लग गई। न, हम इंसानों से गलती हो सकती परंतु उस भगवान से कोई गलती नही होती। 

हमारे सही और अच्छे कर्म करने पर भी दुख का कारण हमारे द्वारा किए गए पुराने जन्मों के कर्म है जिनका भुगतान करने हम इस इंसानी जन्म में आए हैं। 


इंसान का जन्म 84 लाख जून के बाद भगवान की दया से मिलता है। यह इंसानी जन्म सीढ़ी का आखिरी डंडा होता है यदि यहां से पैर फिसला तो हमें फिर से 84 लाख जून से गुजरना पड़ेगा। इंसानी जन्म या जून सबसे श्रेष्ठ है।


अब फिर से हमारे मन में सवाल आता कि आखिरी इंसान का जन्म या जून इतनी महत्वपूर्ण क्यों है आखिर क्यों हर कोई इस जन्म को सबसे कीमती बताता। 

यदि आपने शुरुआती लाइन में पड़ा होगा तो उसमें लिखा था कि भगवान ने हमें खास मकसद से भेजा है। आखिर क्या है यह खास मकसद तो उसका भी जिक्र आगे किया जा रहा है। 


जैसा कि इंसानी जन्म या जून सर्वश्रेष्ठ है और केवल इसी को ही परमात्मा या भगवान की भक्ति करने का अवसर मिलता है। 


यदि इंसान इस जन्म में परमात्मा की भक्ति करता है तो वह परमात्मा से मिलने के काबिल हो जाता है और वह जन्म मरण के इस 84 लाख जून के जेलखाने से छूट जाता है। 


अब सवाल आता कि भक्ति तो हम सब करते हैं परंतु वह उस भगवान या परमात्मा को मंजूर नही। आखिर ऐसा क्यों? 

क्योंकि हमारे द्वारा अपनाए सभी भक्ति के रास्ते हमारे ही मन के द्वारा बनाए गए तसल्ली के रास्ते हैं। 


अब यदि हमें सच्ची भक्ति का रास्ता जानना है तो किसके पास जायें और किस से सच्ची भक्ति का रास्ता पूछे। क्या हम इंसान खुद यह सच्ची भक्ति का रास्ता खोज सकते। नही, यदि इंसान ऐसा कर सकता तो आज के समय में यह सारी दुनिया भक्ति करके परमात्मा से मिलाप कर चुका होता। 


सच्ची भक्ति का रास्ता तो हमें संत महात्मा ही बता सकते। क्योंकि गुरु के बिना ज्ञान नही होता। इसीलिए हमें सच्चे संत महात्मा से सच्ची भक्ति का रास्ता पूछना चाहिए। ऐसे संत महात्मा भक्ति का रास्ता बताने के साथ हमें परमात्मा से मिलाप करवाने तक पूरी मदद करते। 


अब सवाल उठता है कि मैं तो यह सब मानता नहीं और यह सब बातें झूठी होती हैं। तो संत महात्मा ही कहते हैं कि हमारे मानने या न मानने से कुछ नही होता क्योंकि परमात्मा सिर्फ एक है और उससे मिलने का रास्ता भी एक ही है जिसका रास्ता सिर्फ संत महात्मा ही बता सकते और हर युग व् जन्म में एक सच्चा गुरु या संत महात्मा माजूद होता है। 


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