चलो एक बार भूल जाते है जो भी हुआ।
नेई रीत की शुरुआत करते हैं। वक्त है सुधरने का तो फिर इसे क्यों बर्बाद करते हैं।
साथ जो खड़े हैं उनका साथ देने में क्या हर्ज है।
बार बार दल बदलना कहां का संस्कार है।
वक्त है सुधरने का तो फिर इसे क्यों करते हैं बर्बाद।
जो अपना है उसको क्यों नीचा है दिखाना। साथ से ही एक दूसरे को समझना।
य न हो जो अपने है वो रूठ जाएं, फिर मुश्किल है उनको मनाना।।
करो मन में प्रण और बनाओ एक नया संस्कार हवा के झोके के साथ नही बदलना है यार।।
जो गैर है उनको खुश करने में क्यों करना है वक्त बर्बाद, वो आज भी गैर तो और कल भी गैर ही रहेंगे।
फिर किस लिए करना है वक्त बर्बाद,
चलो एक बार भूल जाते है जो भी हुआ।।
वक्त जो बीता फिर न आएगा वापिस। अपने जो रूठे फिर न मानेंगे। हर बार माफ करना है कहां का इंसाफ।।
माना कि आपको कोई फर्क नही पड़ता, माना कि आपको कोई फर्क नही पड़ता, तो बताने में क्या हर्ज है यार। क्योंकि मन है चंचल और अपनी फितरत बदलता नही।।
सुधरने का मौका रब है देता कौन अपना है कम से कम उसे तो पहचानों।।
मेरी बातों को हल्के में मत लेना इस बार, मेरी बातों को हल्के में मत लेना इस बार। दूर कर दिए जाओगे अपनों की महफिल से यार।
इसीलिए अब भी मौका है यार सुधर जाओ अब की बार।
चलो एक बार भूल जाते है जो भी हुआ।
नेई रीत की शुरुआत करते हैं यार।।
चलो एक बार भूल जाते है जो भी हुआ यार।।
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