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Sunday, April 23, 2023

दोस्ती निभाना बहुत मुश्किल होती है: हिंदी कहानी

दोस्ती करना आसान होता है परन्तु निभाना बहुत मुश्किल, यह हम सब कहानियों में सुनते आ रहें हैं. आज की कहानी भी इसी पर आधारित है जिसमें 4 दोस्त अपना खुबसूरत सा रिश्ता गवा बैठे. 

दोस्ती में उम्र की कोई सीमा नहीं होती और इन चार दोस्तों में भी कुछ ऐसा ही है. यह दोस्ती अनजाने और न चाहते भी बन गयी. यह कहानी शुरू होती है एक कंपनी के ऑफिस से जहाँ बहुत से एम्प्लोयी काम करते थे परन्तु लोकडाउन के समय लिमिटेड स्टाफ ही ऑफिस आते थे और किस्मत से इन एम्प्लोयी की ड्यूटी भी ऐसे ही लगी.

धीरे-धीरे इन चारों के बीच गहरी दोस्ती हो गयी, चारों ऑफिस के बाहर भी मिलने लगे और समय बिताने लगे. अपने सुख-दुःख शेयर करते और एक दूसरे का साथ देते और दें भी क्यों न क्योंकि दोस्ती का मतलब ही यही होता है. 

समय बीतता गया और इनकी दोस्ती गहरी और भी गहरी होती गयी. लोग इनकी दोस्ती से जलने लगे परन्तु इन चारों पर लोगों और घरवालों की बातों का कोई भी असर नहीं था. लोकडाउन खत्म होने के बाद ऑफिस समय में इन्हें आपस में बात करने का समय मिलना बंद हो गया. परन्तु चारों समय-समय पर ऑफिस के बाद कॉल्स पर बात करते थे और whatsapp ग्रुप के माध्यम से हमेशा एक्टिव रहते जो कि अपनी बातें शेयर करने के लिए महत्वपूर्ण साधन था. 

इन चारों में से ऐसा कोई नहीं था जो समय निकाल के कॉल और मेसेज का रिप्लाई न करें. सब कुछ बढ़िया चल रहा था परन्तु वह कहते न समय के साथ चीजें पुरानी हो जाती हैं और कुछ ऐसा ही इस दोस्ती में होने लगा. 

ऑफिस में समय मिलता ही नहीं और मिले भी तो उमसें ऑफिस के काम संबधित ही बातें होती थी. जो बिन बोले कॉल पर बातें शेयर करते थे और बात करते थे वह सब बंद सा हो गया. Whatsapp ग्रुप जो कि हर समय नये मेसेज से एक्टिव रहता था अब वह सूना-सूना सा रहने लगा. किसी के पास अब इतना समय नहीं कि कोई मेसेज का भी रिप्लाई करे. 

इसी को ही लेकर चारों में लडाई-झगड़ें शुरू हो गये. चारों एक दूसरे को मनाने और पूराने जैसे रिश्ते को बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास करने लगे. परन्तु वक्त बुरा समझे या फिर आपस की  में गलत अंडरस्टैंडिंग जो इस प्यारे से रिश्ते को खत्म करने में लगी थी. 

जब समय ख़राब चल रहा होता तब उम्मीदें और सारे प्रयास व्यर्थ ही जाते हैं कुछ ऐसा ही इन दोस्तों में था. अब इनके पास इतना समय ही नही था कि इस दोस्ती को निभा सके. 

इसीलिए चारों दोस्त अपने-अपने पर्सनल लाइफ में ऐसे खो गये कि अब कोई एक दूसरे का हाल चाल भी नहीं पूछता.

परन्तु हर एक दोस्त के मन बस यही चल रहा था कब मेरे दोस्त मुझे कॉल व् मेसेज करेंगे. पहले जैसे दोस्ती का रिश्ता बनाने के लिए मुझे कब मनाएंगे. बस इसी इन्तेजार में चारों दोस्त समय व्यतीत करने लगे. 

कुछ सालों बाद एक दोस्त की मौत की खबर जब बाक़ी के दोस्तों को मिली तो उनसे रहा नहीं गया और वह उसके घर एक साथ चले आये. तीनों बहुत समय के बाद एक साथ इक्कठा हुए थे चाहे वह दुःख की घड़ी ही क्यों न हो. 

तीनों मौन थे और दोस्त के घर में आये लोगों की बातों को सुन रहे थे और अपने दोस्त के साथ बिताये खुबसूरत पलों को याद करने लगे. जब वक्त बीत जाता तब खुबसूरत रिश्तों की यादें ताजा होती थी. 

जब तीनों दोस्त वहां से जाने लगे तो घरवालों ने उन्हें रोका और उनके दोस्त कमरे में बैठा दिया. घरवालों ने उन दोस्तों को डायरी दी जिसे उनके दोस्त ने आखिरी समय में देने के लिए कहा था.

डायरी में बहुत कुछ लिखा था और उसमें कुछ फोटोग्राफ भी थे जो कि उन्हीं चारों दोस्तों के थे. जब दोस्तों ने डायरी के आखिरी पन्नें पढ़े जो कि उनके दोस्त ने अपने आखिरी समय में लिखे थे, तो उनकी आँखों में आसूं आ गये और अपनी किस्मत को कोसने लगे क्योंकि उन्होंने अपनी जिन्दगी का खास व् बेहतरीन दोस्त खो दिया था. 

तीनों दोस्त बहुत दुखी थे परन्तु अब इन तीनों के जीवन में नई शुरुआत हुई और अब यह तीनों अपने खोयी हुई दोस्तों को फिर से बरकरार करने में लग गये. 


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